Surprise Me!

न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता || आचार्य प्रशांत, ग़ालिब पर (2018)

2019-11-30 262 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१९ जून, २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता<br /><br />डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता!<br /><br />हुआ जब ग़म से यूँ बेहिस, तो ग़म क्या सर के कटने का ?<br /><br />न होता गर जुदा तन से, तो ज़ानू पर धरा होता<br /><br />हुई मुद्दत के ‘ग़ालिब’ मर गया, पर याद आता है<br /><br />वो हर इक बात पर कहना, कि यूं होता तो क्या होता?<br />~ मिर्ज़ा ग़ालिब<br /><br />प्रसंग:<br />खुद के होने या न होने का क्या आशय है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

Buy Now on CodeCanyon